उसने परीशान होकर जुगनू को काल की थी in storiestostories

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उसने परीशान होकर जुगनू को काल की थी और उसे आने की जल्द ताकीद भी की । जुगनू ने उसे बताया था वह अपने मा बाप से बात करेगा और उनको मनाने की कोशिश भी , लेकिन उसने उम्मीद ज़ाहिर की थी कि वह उनको मना लेगा , वह अपने इरादों में और अहद का पक्का था । पुख्ता दीया को उम्मीद ही नहीं , बल्कि पक्का यकीन था कि वह अपनी बात मनवा लेगा । उस रात तक वह वड़ी देर तक सोचती रही । कि अगर जुगनू अपने मां बाप को मना भी लेता है तो उसकी क्या जमानत है कि अब्बा उसकी शादी जुगनू से करने पर राजी हो जाएगे । वह सख्त वेचैन हो गई और आखिर उसने अपने जहन को यह कहकर झटक दिया कि देखा जाएगा , अभी तो मरहला जुगनू को भाभी से मिलाने और उनकी आगे ही भाभी की कुछ करना पड़ेगा , मेरी खातिर अब्बा का रा करने के लिए । जुगनू जो उसे एक महीने बाद आने का कड़कर गया था । एक हफ्ते बाद ही लोट आया , वह दीया से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाया , अब उससे दूर रहना उसके बस में नहीं रहा था । वह हंसता मुस्कुराता दीया के सामने था , उसकी आखों में मुहब्बत का समुन्द्र ढहाके मार रहा था । दीया न उससे अपने सामने देखा तो खुशी से उसकी आंखो में जुगनू से चमक गए । जुगनू आप ? " " हां दीया में तुम्हारा जुगनू उड़कर आ गया , अपनी दीया के पास , उसकी आंखों मोटे मोटे आंसू उमड़ते देखकर उसके दिल को कुछ होने लगा । " वह एक दम रोते रोते हंस पड़ी , उसे हंसता देखकर वह भी मुस्कुराया । में " जुगनू में आपको अपनी भाभी से मिलवाना चाहती हूं । " मैंने उनसे आपका ज़िक्र किया था । उन्होंने कहा कि " जुगनू को मुझसे मिलाओ । " " तो फिर ठीक है पहले में भाभी से मिलूंगा , किस दिन मिलवा रही हो उसने । " मुस्कुरा कर पूछा तो दीया ने कहा । " जब आप कहें । " " तो जैसे रास्ते हमवार हो रहे हैं । " उसने दीया की आंखों में झांका । आप को " तो फिर आज ही क्यों नहीं नेक काम में देर केसी । " उसने शोख लहजे में कहा । बताऊंगी । " " मैं भाभी से मालूम करके : " ठीक है में इन्तिज़ार करुंगा ।

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