उसे हंसाने की कोशिश कर रहा था । in storiestostories

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उसे हंसाने की कोशिश कर रहा था । " भई तुम तो ग़मगीन हो गई हो जैसे में बैंग्लोर जाने के बजाए खुदा के यहां सिधार रहा हूं । " जुगनू ने उसे छेड़ा तो उसकी आंखें पानी से भर गई । " एक तो जा रहे हो उस पर ऐसी फजूल बातें कर रहे हो । जुगनू ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया । " " दीया देखो चन्दा में एक महीने के बाद चक्कर लगाऊंगा । अस्ल में बाबा के सर पर बहुत काम है । मजबूरी है कि मुझे जाना पड़ेगा , वर्ना तुमसे दूर कौन जाना चाह रहा है , मुझे तो खुद समझ नहीं आ रही , तुम्हारे बगैर इतना वक्त कैसे गुज़ारुंगा । " मगर दीया की उदासी जुगनू की बातों से ख़त्म न हो पाई । वह आंसू बहाती रही और वह उसको दिलासा देता रहा फिर वह उसे रोता बिलकता छोड़ कर जल्दी आने का वादा करके चला गया । वह जुगनू की वापसी के दिन गिन गिन कर गुज़ारने लगी । किरन अक्सर उसकी अम्मी जी से मिलने आती रहती थी , किरन उसकी कोलीग थी और राजपूत फैमिली से थी । दोनों में बहुत दोस्ती थी दोनों एक ही कालिज में पढ़ाती थीं , यहीं उनकी दोस्ती हुई थी । आज भी वह उस के घर आई हुई थी कि किरन ने उसकी शादी का ज़िक्र छेड़ दिया । " आंटी आप दीया की शादी क्यों नहीं कर देतीं , अब तो यह जाब भी करने लगी है । " उसने आंख दबाकर दीया को देखा तो दीया के होन्टों पर खूबसूरत सी मुस्कुराहट रेंग गई । " बस बेटा क्या बताऊं दीया के अब्बा हर रिश्ते को रद कर देते हैं , उनके आगे किसी की नहीं चलती । अल्लाह ताअला से दुआ

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