थोड़ी देर के बाद किरन बोलने के काबिल हुई थी in storiestostories

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थोड़ी देर के बाद किरन बोलने के काबिल हुई थी , उसका लहजा शर्मिन्दगी लिए हुए था , उसने दीया से नज़रे चुरा ली । " किरन ऐसी बात नहीं जानू रिलेक्स प्लीज़ । " उन्होंने मुस्कुराते हुए किरन की शर्मिन्दगी कम करने की कोशिश की और किसी हद तक किरन नार्मल भी हो गई । बेहतर माहौल में चाय पी गई । अम्मी जी मुस्तफ़ा का फ़ोन सुनने लगी थीं । इस सारे मुआमले से वह बेख़बर थीं । मगरिब की नमाज़ के बाद दीया राकिंग चेयर पर बैठी आहिस्ता आहिस्ता झूलती हुई काफ़ी की चुस्किया ले रही थी , उसके चेहरे पर किसी हसीन सोच ने गुलाब खिला दिए थे । भाभी उसे अजीब नज़रों से देखती रहीं , अचानक दीया की निगाहें उठी तो वह गड़बड़ा गई । " ओह भाभी आप । " वह जल्दी से कप रख कर बोली तो वह फिर भी उसे घूरती रहीं । " क्या बात है भाभी इस तरह क्यों देख रही हैं प्लीज़ बताएं तो सही । " दीया ने उनका हाथ पकड़कर सामने वाली कुर्सी पर बिठा दिया । ' अच्छा आप नाराज हैं । ' वह मुस्कुराई । " क्या मेरी नाराज़गी ग़लत है बोलो । " " बिल्कुल नहीं भाभी एक फीसद भी नहीं । मैं खुद आपको बताना चाहती थी , दरअस्ल वह जुगनू राव से में आपको किसी दिन मिलवाना चाहती थी , वह बहुत अच्छा इन्सान और प्यारी शस्सीयत का मालिक , बड़ी खूबसूरत बातें करता है , उसकी कम्पनी में जरा भी वक़्त गुज़रने का एहसास नहीं होता । " वह बोलते हुए कुछ खो सी गई । " लेकिन दीया अब्बा को कौन समझाएगा , वह तो कभी तुम्हारी शादी जुगनू से नहीं करेंगे । उन्होंने तो मुस्तफा की पसन्द भी रिजेक्ट कर दी है और तुम्हारे लिए तो नामुमकिन है । " भाभी ने हकीकत का संजर उसके सीने में उतार दिया । " तुम खुद समझदार हो बेवकूफ और नादान तो नहीं हो फिर तुमने जुगनू को क्यों अपने दिल में जगह दी । " " यह सब बातें सोच समझ कर तो नहीं होतीं । दिल पर कुब किसी का इख्तियार होता है । मुझे नहीं मालूम जुगनू कब और कैसे मेरे दिल का मेहमान बन गया , मैंने उससे अपने दिल झटकने की बहुत कोशिश की , लेकिन अपनी इस कोशिश में नाकाम रही । मैं हार गई भाभी मैंने खुद से जंग लड़ते हुए , जुगनू के सामने हथियार फेंक दिए । वह बहुत अच्छा है भाभी बहुत अच्छा में उसके अलावा किसी के साथ नहीं रह सकूंगी । आप एक बार उससे मिलकर तो देखें । " मगर दीया अव्या कव मानते हैं किसी की बात । " उनकी आंखों में मोती से चमकने लगे । दीया एक दम उठी और नीचे बैठ कर उनके घुटनों पर सर रखकर रो पड़ी और हिचकिया लेते हुए बोली । " मेरी मदद करें भाभी वर्ना मेरा दिल बन्द हो जाएगा । " दीया के आंसुओं उनका घुटना भीग गया था , वह सस्त मुश्किल में थी कि यह क्या हो गया । " क्या सोचने लगी भाभी । " वह कुछ ख़ौफजदा सी होकर बोली । भाभी ने चौंक कर उसे हाथ पकड़ कर उठाया और खुद भी खड़ी होकर बोली । " ठीक है अपने आसू उसे पोंछो तुम किसी दिन मुझसे मिलवाओं में उससे

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