नसीब न होता तो शायद मँ इतनी कामयाब केरियर वुमैन न होती । वक़्त आगे सरकता गया । शहर में कितने ही मैरिज ब्योरो और खुल चुके थे लेकिन ' मिलल ' की बात ही कुछ और थी । लोगों का एलवार और भरोसा हमारी अस्ल कमाई थी और में इस एतबार और भरोसे को किसी कीमत पर भी हाथ से नहीं जाने दे सकती थी । लेकिन यह काम था रिस्की । कभी कभार दिल दुखाने वाली बात भी सामने आ जाती थी । जैसा कि आज हुआ था । सामने बैठी
मिसेज़ नईम को मेरी बहुत पुरानी फ्लाइन्ट ने मेरे पास भेजा था । वह अपनी बच्ची के रिश्ते के लिए बहुत परीशान थीं । लोग आते थे और खा पीकर चले जाते थे । रिश्ते की बेल कहीं मन्टे न चढ़ रही । थी । बहुत उम्मीद और आस लेकर वह मेरे पास आई थी । उनकी बच्ची पढ़ी लिखी थी । कलचर्ड भी , घर दारी में माहिर थी । बहुत
ज्यादा खूबसूरत न थी , लेकिन कशिश रखती थी । और मुझे उम्मीद थी कि अच्छी जगह उसका रिश्ता तय हो जाएगा । मैं ने एक एक करके तीन लड़के वालों को उनकी तरफ भेजा था , लेकिन बदकिस्मती से लड़की लड़के वालों • की मर्जी पर पूरी न उतरी थी । आज मिसेज तीसरी पार्टी का जवाब लेने मेरे पास आई थीं । मैं कुसूरवार न होते हुए भी उनसे आस न मिला पा रही थी । • कितनी उम्मीद और आस लेकर वह मेरे पास आई थी । मैं ने अपनी समझ से बहुत ● लोगों को उनके पास भेजा था , लेकिन उन्हें पसन्द नहीं आई थी । हर गुजरते दिन के साथ लड़के वालों की पसन्द उन्ची से ऊन्ची होती जा रही थी ।
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