अपनी अमानत ऐसे ही दो in story
अपनी अमानत ऐसे ही दो कपड़ों में घर ते जाएंगी । " जानू ' क्यों रोती हो ? में हूं ना , बताओ तुम क्या चाहती हो ? ” सालार ने पहले अरीबा के मुंह पर टैप चिपकाया । हाथ जोड़ कर उसे एक तरफ बैठने के लिए कहा । फिर अनीका का नर्म व मुलायम हाथ प्यार से थाम कर उसे दिलासा दिया । अनीका ने मौका देख कर ख्वाहिशात की लम्बी लिस्ट उसे थमा दी । स्पलार ने बेसारता उमड़ आने वाले कहकहे के तूफान पर बन्द बान्धा वर्ना वह तो लड़ने बैठ जाती । प्यार से पागल सी उस लड़की को देखा जो मुतमइन होकर टिशू से अपना मुंह पोंछते हुए सालार के जवाब का इन्तिज़ार कर रही थी । अब " ओ . के . पक्का । मैं दिल्ली जाकर सारे डिजाइनर सूट और ब्रान्डेड पर्स व जूते वगैरह की शापिंग कराऊंगा और वह भी सब कुछ जो तुम्हें पसन्द होगा । मगर प्लीज़ अभी ख़ामोशी से इन बड़ों को अपनी मर्जी करने दो । इसी में हमारी भलाई है । " सालार के जुड़े हाथ देख कर वह शर्मिन्दा हो गई । मुस्कुरा कर हां में सर हिलाया- " मुझे भी शापिंग कराइएगा बिल्कुल अनीका जैसी वर्ना छोडूंगी नहीं । " अरीवा ने फट से टेप निकाला और उनके बीच कवाब में हडडी बनने लगी । " अपना मुंह धो रखो बिल्ली ! मुझे , नचाने के लिए घर वाली कम है क्या जो आधी घर वाली भी उठ खड़ी हुई । " सालार ने उसे छेड़ा । उन दोनों के बीच लड़ाई का नया राउन्ट चालू हो गया । अनीका ने इतमीनान से आंखें बन्द कर ली ।
" मुझे भाभी कटोती के रहमोकरम पर छोड़ कर तुम खो जाओ रंगीन सपनों में । बी बन्नो ! खुशी खुशी दिल्ली जाओगी । हम दीवाने बने उनकी याद में आंसू बहाएंगे । " अरीबा ने होन्ट लटका कर आंसू भर कर कहा । उसे अभी से आंखों में तन्हाई महसूस होने लगी । अनीका ने चौंक कर आंखें खोलीं । बहन को उदास देख कर वह बेचैन हो गई । उन दोनों बहनों का तअल्लुक़ बहनों से ज्यादा दोस्तों वाला रहा । अब एक को तन्हा रहना भारी पड़ रहा था । अरीबा को उसकी शादी का सोच कर ही झुरझुरी आने लगी । " मेरी जानू ! मुझे पता है तुम अकेली नहीं रहोगी । मेरे साथ साथ तुम्हारा भी कुछ न कुछ हो ही जाएगा । जाने क्यों मेरा दिल कह रहा है एक शहजादा प्यारी अरीबा को अपना बनाने दूर से चला आ रहा है । " अनीका ने प्यार से बहन को मनाने के लिए । एक बात कह दी । ' अरीबा बहन के बहलावे पर मायूसी से मुस्कुरा दी । दोनों हाथ में हाथ डाले बाहर की तरफ चल पड़ीं । यह जाने बग़ैर कि कल क्या होने वाला है । मगर वह जो कहते हैं कि हर वक़्त मुंह से अच्छी बात निकालनी चाहिए कि जाने कब कबूलियत की घड़ी हो तो अनीका के होन्टों से निकलने वाली दुआ भी फ़ौरन ही कबूल हो गई ।
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